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एक व्यक्ति द्वारा स्वामी विवेकानंद से पूछा गया, सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है ? स्वामी जी ने उत्तर दिया की “वो ऊमीद खोना जिसके भरोसे पर हम सब कुछ वापस पा सकते है!
जिस व्यक्ति ने कभी गलती नहीं कि उसने कभी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की.
जीवन वही अनमोल है, नैतिकता का जहां मोल है।
“जब गलती अपनी हो तो हमसे बडा कोई वकील नही जब गलती दूसरो की हो तो हमसे बडा कोई जज नही
किसी की बुराई करने से आपका चरित्र पता चलता है ना की उस व्यक्ति का।
बिना योजना के लक्ष्य सिर्फ एक इच्छा है।
ईश्वर से कोई भी प्रेम कर सकता है क्योंकि वह आपसे कुछ नहीं मांगता। पर अपने पास खड़े व्यक्ति से प्रेम करने की कीमत जीवन से चुकानी पड़ती है।
जो व्यक्ति हर वक्त दुख का रोना रोता है, उसके द्वार पर खड़ा सुख बाहर से ही लौट जाता है।
दृढ रहने की इच्छाशक्ति अक्सर सफलता और असफलता के बीच का अंतर होती है।
बहुत मुश्किल होता है, उस व्यक्ति को हराना जिसे चलना बुरे वक्त ने सिखाया हो.