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व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है,
अपनी पीड़ा के लिए संसार को दोष मत दो, अपने मन को समझाओ तुम्हारे मन का परिवर्तन ही तुम्हारे दुखो का अंत है।
एक व्यक्ति द्वारा स्वामी विवेकानंद से पूछा गया, सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है ? स्वामी जी ने उत्तर दिया की “वो ऊमीद खोना जिसके भरोसे पर हम सब कुछ वापस पा सकते है!
हम ज़िन्दगी भर जमीनों की कीमत पर इतराते रहे, हवा ने अपनी औकात मांगी तो खरीदी हुई ज़मीने बिक गयी।
हद से ज्यादा खुशी और हद से ज्यादा गम, कभी किसी को मत बताओ क्योंकि ज़िन्दगी में लोग हद से ज्यादा खुशी पर नजर और हद से ज्यादा गम पर नमक जरूर लगाते है।
सिर्फ पंख जरूरी नही है आसमानों के लिए, हौसला भी चाहिये ऊंची उड़ानों के लिए।
व्यक्ति कर्मों में जीता है वर्षों में नहीं
व्यक्ति अगर अपनी निंदा में भी अवसर खोज कर निकल लेता है तो वह कभी नहीं हारता ।
एक व्यक्ति ने कभी गलती नहीं की, जब उसने कभी भी कुछ नया करने की कोशिश नहीं की यानी जब हम कुछ नया करते है तभी गलतियां होना स्वाभाविक
हर किसी से महत्व पाने की इच्छा व्यक्ति को “नुकसान” पहुंचाती है.