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ज़िन्दगी पल-पल ढलती है, जैसे रेत मुठ्ठी से फिसलती है कुछ खोकर पछताना क्यों, ज़िंदगी जैसी भी है बस एक ही बार मिलती है
सबकुछ कुछ नहीं से शुरू हुआ
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है
मैं बिन फेरों के भी रिश्ता निभाऊंगा बश तुम मेरा हाथ थामें रखना
दिल में तेरी चाहत लबो पे तेरा नाम है, तू मोहब्बत कर या ना कर, मेरी ज़िन्दगी “तेरे नाम” है.
लगातार चलने का नाम ज़िन्दगी है, रुकने-थकने या हार जाने का नहीं। सोने से तो बस नींद पूरा होती है सपनों को पूरा करने के लिए तो जागना पड़ता है।
ज़िन्दगी में कुछ ज़ख्म ऐसे होते है जो कभी नहीं भरते बस इंसान उन्हें छुपाने का हुनर सीख जाता है
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
ज़िन्दगी में सदा ही हौसले बड़ा रखना चाहिए ख़ुशी हो या ग़म, हमेशा मुस्कुराना चाहिए।
मनुष्य कर्म से महान होता है, जन्म से नहीं। ~ आचार्य चाणक्य