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रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
एक ऐसा लक्ष्य निर्धारित करें जो आपको सुबह बिस्तर से उठने पर मजबूर कर दें…
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में, बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका.
जिन्हें नींद नहीं आती उन्हें को मालूम है सुबह आने में कितने ज़माने लगते हैं
रात नही होगी तो सुबह का महत्व नही होगा, दिख के बादल नही आएंगे तो सुख का अनुभव ही नही होगा।
ज़माने लगते है सुबह होने में, जिन्हें रात को नींद नहीं आती I
ज़िंदगी की लंबाई नहीं, बल्कि गहराई मायने रखती है।
ख्वाहिशो को आप कितना ही पूरा कर लो , ज़िंदगी पूरी हो जाएगी मगर ये पूरी
सोचा न था जिंदगी ऐसे फिर से मिलेगी, जीने के लिए आंखों को प्यार लगेगी अपने ही आंसू पीने के लिए।
ऐ उमर… अगर दम है तो कर दे इतनी सी खाता। बचपन तो छीन लिया, बचपना छीन कर बता।