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तेरे होने से ही मेरे घर परिवार में खुशियां हैं क्योंकि बहना तू मुझे मिला खुशियों का वरदान है।
हर रक्षा बंधन मैं अपने मन के भीतर तुम्हारी सुख, समृद्धि का संकल्प लेता हूँ । संकल्प
तू लड़ती है-झगड़ती है, सुन बहना मेरी रक्षा भी तू ही करती है ये पीड़ाएं मुझे छूं न पाए, क्यों इस चिंता से तू इतना डरती है
बहना मेरी हर सुबह की भोर हो तुम, हर सवालों का जवाब और मेरे मन में उठा शोर हो तुम
खुला जब-जब पन्ना कहानी का मेरी , मैंने पाया बहना सदा इसमें नाम छुपा तुम्हारा
खुला जब-जब पन्ना कहानी का मेरी, मैंने पाया बहना सदा इसमें नाम छुपा तुम्हारा
माँ की ममता भी हैं तुझमें, है तुझमें पिता सा अकड़पन भी दोस्ती भी अनमोल है तेरी, अनमोल है तेरा लड़कपन भी
मेरी बहन ही तो है जो रोज मेरा हाल कुछ इस अंदाज़ में पूछती है मेरे सवालों पर हंसती है और मेरी फ़िक्र में सुबह-शाम झूझती है
तेरे होने से ही मेरे घर परिवार में खुशियां हैं क्योंकि बहना तू मुझे मिला खुशियों का वरदान है ।
आशाओं की किरण ओझिल हो नहीं सकती नारी भी कभी यूँ ही अवला हो नहीं सकती मेरी बहन को देखा मैंने, जो वीरांगना की परिभाषा हैं उसके होने पर मैं निर्भय, वो मेरी विजय की आशा है