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गुज़र जायेगा ये दौर भी ज़रा सब्र तो रख ! जब खुशियाँ ही न रुकी तो ग़म की क्या औकात है !!

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गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा सा सब्र तो रख, जब खुशियों ही नहीं रुकी तो गम की क्या औकात है
न जाने किस कॉलेज से ली थी मोहब्बत की डिग्री उसने ! जितने भी मुझसे वादे किये थे सब फ़र्ज़ी निकले !!
तुम्हारे बगैर ये वक्त ये दिन ये रात, गुज़र तो जाते है पर गुजारे नही जाते..!!!
दर्द कम नहीं हुआ है मेरा ! बस सहने की आदत हो गयी है !!
जिन्हें नींद नहीं आती उन्हें को मालूम है सुबह आने में कितने ज़माने लगते हैं
ज़िन्दगी की हक़ीक़त को बस इतना ही जाना है , दर्द में अकेले हैं खुशियों में ज़माना है
वक्त का काम तो गुजरना है, अच्छा है तो शुक्र करो, बुरा है तो सब्र!
हँसकर दर्द छुपाने का हुनर मशहूर था मेरा ! पर कोई हुनर काम न आया जब तेरा नाम आया !!
तुझे खोकर भी है एक तसल्ली मुझे अब मेरे साथ और क्या बुरा होगा
अपने रिश्तो को उस ताले की तरह बनाओ जिसे हथोड़े की चोट तो मंजूर हो, मगर किसी दूसरी चाबी से खुलना मंजूर नहीं.