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गुज़र जायेगा ये दौर भी ज़रा सब्र तो रख ! जब खुशियाँ ही न रुकी तो ग़म की क्या औकात है !!

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कहो कि कैसे गुजर रही है रात भारी या दिन है गम में, या हमारी तरह जिंदगी रेत सी यूं फिसल रही है।
एक बात हमेशा याद रखना, आज जिसके लिए तुम अपना कीमती वक्त बर्बाद कर रहे हो ना, एक दिन उसी के पास आपके लिए वक्त नहीं होगा…!
हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का ! बड़ी मासूमियत से कहते हैं मजबूर थे हम !!
वक्त भी कितना बेरहम है अच्छा हो तो गुजर जाता है बुरा हो तो ठहर जाता है !
मैने वहां भी सिर्फ तुम्हे मांगा, जहां लोग खुशियां मांगते है
अपने रिश्तो को उस ताले की तरह बनाओ जिसे हथोड़े की चोट तो मंजूर हो, मगर किसी दूसरी चाबी से खुलना मंजूर नहीं.
गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा सा सब्र तो रख, जब खुशियों ही नहीं रुकी तो गम की क्या औकात है
बिना कठोर परिश्रम सिर्फ परेशानियाँ बढ़ती है ख़ुशियाँ नहीं।
जिंदगी में खुशियाँ तलाश करो, दुखो का कोई अंत नहीं होता
लोग कहते हैं दु:ख बुरा होता है जब भी आता है रुलाकर जाता है लेकिन हम कहते दु:ख अच्छा होता है जब भी आता है कुछ सिखा कर जाता है !!