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तुम संघर्ष के समय बनी ऐसी प्रतिमा हो बहना, जिसे न्याय की मूर्ति कहना गलत ना होगा ।
बोलो बहन कैसे कह दूँ कि मैं तुम्हारे बिना सभ्य हुआ, वास्तविकता तो यही है कि तुमसे ही सभ्यताओं का सृजन हुआ है।
मेरे भीतर पनपे विश्वास की जड़ तुम हो बहना, मेरी जीत का एकलौता श्रेय तुम हो बहना
बहना मेरी हर सुबह की भोर हो तुम, हर सवालों का जवाब और मेरे मन में उठा शोर हो तुम
नारी के बलिदान को वही सम्मान मिलता है, जहाँ बहनों ने खुद से पहले भाई की खुशियों को रखा हो।
आकाश में जितने भी तारे हैं या कि वह प्रतिबिंब हमारे हैं बगिया है जैसे बहना की तरह, जिसने फूल दिए कई सारे हैं।
ऋतुओं की चादर ओढ़कर तुमने ही मुझे जीना सिखाया बहन तुम्हारी ममता ने सादगी का अमृत पीना सिखाया -- मयंक विश्नोई
तुम संघर्ष के समय बनी ऐसी प्रतिमा हो बहना, जिसे न्याय की मूर्ति कहना गलत ना होगा।
खुला जब-जब पन्ना कहानी का मेरी, मैंने पाया बहना सदा इसमें नाम छुपा तुम्हारा
उसकी छाया में चलकर, उसका ही साया बनना है खुशियों की खातिर उसकी पीड़ाओं से भी लड़ना है कैसे न हो गर्व मुझे, उसका भाई होने पर जो मुझ जुगनू को रोशन करती, वो बस मेरी बहना है