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कुछ बाते भगवान पर छोड़ दे सब कुछ खुद सुलझाने की कोशिश न कर
ऐसी दुनिया का आगाज़ करो जो कल करो सो आज़ करो - चंदन की कलम
कहो कि कैसे गुजर रही है रात भारी या दिन है गम में, या हमारी तरह जिंदगी रेत सी यूं फिसल रही है।
मेरे लिए एक समीकरण का कोई मतलब नहीं है, जब तक कि यह भगवान के बारे में एक विचार व्यक्त नहीं करता है।
सभी को खुश तो भगवान भी नहीं रख सकता फिर आप तो केवल एक इंसान हैं।
ज़िन्दगी के बहुत से इम्तिहान बाकी हैं अभी तो बस चलना सीखा है नापने को पूरी कायनात बाकी है। गिरूंगा सीखूंगा उठूंगा अभी सीखने को पूरा संसार बाकी है।
अजीब तरह के लोग है इस दुनिया में, अगरबत्ती भगवान के लिए खरीदते है और खुशबू अपने पसंद की तय करते हैं।
इंसान का असली चेहरा तब सामने आता हैं जब वो नशे में होता हैं... फिर चाहे नशा पैसे का हो, पद का हो, शक़्ल का हो या शराब का...
प्यार ढूँढा नही मिला, भगवान ढूँढा नही मिला भाई ढूँढा सब मिल गया।
माहौल यहा कुछ इस तरह है। अजब सी कशीश हर एक मनमे। जी रहा है ,हरकोई डर डर के.. मांग रहा है ,जिंदगी मर मर के ए खुदा के बंदे , ढुंड जरा जमानेमे खुशीया हजार मिलेंगी, हर एक पलमे लाखो जनम जी लेगा , बस तू एक बार जीना सीख ले।