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लम्हे तो है बीते सारे लेकिन लगते है आज भी जैसे हो वो कल

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इंसान का असली चेहरा तब सामने आता हैं जब वो नशे में होता हैं... फिर चाहे नशा पैसे का हो, पद का हो, शक़्ल का हो या शराब का...
आँसुओ का कोई वज़न नहीं होता, लेकिन निकल जाने पर मन हल्का हो जाता है
लम्हे तो है बीते सारे लेकिन लगते है आज भी जैसे हो वो कल
ज़िंदगी रहे ना रहे, लेकिन ज़िंदगी में माँ का रहना बहुत जरुरी है।
अस्तित्व की इस लड़ाई में एक संघर्ष दायित्व का भी है।
ऐसी दुनिया का आगाज़ करो जो कल करो सो आज़ करो - चंदन की कलम
पाप निःसंदेह बुरा है; लेकिन उससे भी बुरा है पुन्य का अहंकार।
कहो कि कैसे गुजर रही है रात भारी या दिन है गम में, या हमारी तरह जिंदगी रेत सी यूं फिसल रही है।
अगर आप के पास ऐसा कोई है जो आप को दुःख मे नहीं देख सकता। तो आप ये सुनिश्चित अवश्य करे की उन्हें आप के वजह से दुःख कभी ना हो।
कौन ज्यादा मजबूर है वो जो सड़कों पर सुकून की नींद सोता है या वो जो लाखों के घर में भी नींद के लिये तरसता है।