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प्रेम दिवस कैसे मनाता चारों तरफ गम के बादल छाए थे, नमन है मेरा उन शहीदों को जो तिरंगा ओढ़ कर आए थे.
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert
कभी छुपा लेते है गम की दिल के किसी कोने में। कभी किसी को सब कुछ सुनाने का दिल करता है।
दर्द मुझको ढूंढ़ लेता है रोज़ नए बहाने से वो हो गया वाक़िफ़ मेरे हर ठिकाने से
हर छोटा बदलाव बड़ी कामयाबी का हिस्सा होता है!
आँसुओ का कोई वज़न नहीं होता, लेकिन निकल जाने पर मन हल्का हो जाता है
आप चाहें जिस भी वस्तु की इच्छा करो, वह आपको आपके अपेक्षित रूप में नहीं मिलेगी. – हारुकि मुराकामी
न जाने किस दरबार का चिराग़ हूँ मैं , जिसका दिल करता है जलाकर छोड़ देता है
दर्द, गम, डर जो भी है बस तेरे अंदर हैं, खुद के बनाये पिंजरे से निकल कर देख, तू भी एक सिकंदर हैं
सूरज और चांद की ख्वाहिश नहीं मुझे जहां दिल को सुकून मिले वहीं मेरे खुदा का दर है।