#Quote

न जाने किस दरबार का चिराग़ हूँ मैं , जिसका दिल करता है जलाकर छोड़ देता है

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वो किताबों में लिखा नहीं था , जो सबक़ ज़िन्दगी ने सिखाया मुझे !
मौन, मैंने समझा है , एक ऐसी चीज़ है जो आप वास्तव में सुन सकते हो।
अगर तुम मेरे घर के चिराग नहीं हो तो मेरा मन सूना है। अगर तुम मेरी बहन होती तो मैं फिर कभी इस तरह नहीं मुस्कुराता
नाज़ुक लगते थे जो लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले
कुछ यादों को आप कभी नहीं छोड़ना चाहते, चाहें उसके लिए आपको कितनी ही पीड़ा क्यों न सहनी पड़े.
किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे किसी को रुलाकर हँसे तो क्या हँसे
ज़िन्दगी की हक़ीक़त को बस इतना ही जाना है , दर्द में अकेले हैं खुशियों में ज़माना है
जो लोग दर्द को समझते हैं वो लोग कभी दर्द की वजह नहीं बनते
दिल को छू जाने वाले अनमोल विचार
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert