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तुम्हें देखा तो मोहब्बत भी समझ आई, वरना इस लफ्ज़ की तारीफ सिर्फ ही सुना करता था मैं !
हम आने वाले ग़म को खिंचतान कर आज की ख़ुशी पे ले आते है, और उस ख़ुशी में ज़हर घोल
कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता
दर्द कम नहीं हुआ है मेरा ! बस सहने की आदत हो गयी है !!
यदि आप वर्तमान में स्थिति में नहीं हैं, तो आप अनिश्चितता की प्रतीक्षा कर सकते हैं या हंगामा के साथ बैठे हैं और दर्द और दु: ख में लौट रहे हैं।
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग
दुनिया में प्यार से ज़्यादा दर्द कुछ
सभी खुशहाल परिवार एक दुसरे से मिलते जुलते हैं, हर एक नाखुश परिवार अपने ही किसी कारण से
जब प्यार करने वाले अपने जज़्बातों को दबाकर रिश्तों को कोई दूसरा नाम देते है
जब ‘दर्द’ और ‘कड़वी’ बोली दोनों मीठी लगने लगे तब समझ लीजिये कि जीना आ गया