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जवाब सुनकर वह भी रोने लगा कहीं ना कहीं मेरे दर्द में खोने लगा
यूँ जमीन पर बैठकर क्यूँ आसमान देखता है पँखों को खोल जमाना सिर्फ उड़ान देखता है
जब परिवार के सदस्य अप्रिय लगने लगे और पराये अपने लगने लगे, तो समझ लीजिए विनाश का समय आरंभ हो गया है।
मैं शुक्रगुजार हूं उन तमाम लोगों का जिन्होंने बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़ दिया क्योंकि उन्हें भरोसा था कि मैं मुसिबतों से अकेले हि निपट सकता हूं।
दर्द तब और भी गहरा होता है जब, हमें अपने ही लोगो से धोखा मिलता है
अगर एक हारा हुआ इंसान हारने के बाद भी मुस्कूरा दें तो जितने वाला भी जीत की खुशी खो देता है।
जब तक किसी काम को हम शुरू नहीं करते, तब तक वह नामुमकिन ही लगता हैं…
अक्सर लोग आलसी नहीं होते बल्कि उनके लक्ष्य कमजोर होते हैं…
जीवन में शांति चाहते हैं तो दुसरों की शिकायतें करने से बेहतर है ख़ुद को बदल लें,क्योंकि पुरी दुनिया में कारपेट बिछाने से ख़ुद के पैरों में चप्पल पहन लेना अधिक सरल है।
मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ,कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश मैं हूँ!