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हार और जीत सिक्के के दो पहलू की तरह होते हैं, पहले के बिना दूसरा और दूसरे के बिना पहला अधूरा होता है।
आपके माता-पिता आपकी पढ़ाई के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करते हैं, आप का भी कर्तव्य बनता है कि आप अपनी पढ़ाई के लिए दिन रात एक कर दें।
हार और जीत सिक्के के दो पहलू की तरह होते हैं, पहले के बिना दूसरा और दूसरे के बिना पहला अधूरा होता है।
सफलता का चिराग़ कठिन परिश्रम से ही जलता है!
सफलता की चाबी है निरंतर प्रयास और धैर्य।
हमें शिक्षा केवल नौकरी पाने के लिए ही नहीं लेनी चाहिए। जन सेवा व मानव हित का कार्यभार भी हमारे युवा वर्ग के हाथों में ही है।
सफलता की चाबी, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प में है ।
शिक्षा केवल विद्यालय में ही अर्जित नहीं की जा सकती। यह जहां जिस रूप में मिले हमें उसे ग्रहण करना चाहिए।
सच्ची सफलता वही है जो कठिन परिश्रम के बाद मिलती है।
बिना कठोर परिश्रम सिर्फ परेशानियाँ बढ़ती है ख़ुशियाँ नहीं।