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न कर फ़िक्र की जमाना क्या सोचेगा, ज़माने को अपनी ही फ़िक्र से फुरसत कहाँ!

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हर कामयाबी पर तुम्हारा नाम होगा, तुम्हारे हर कदम पर दुनिया का सलाम होगा,
अपनी मेहनत और हुनर से इतने काबिल बन जाओ कि कोई भी अमीर आदमी तुम्हारी मेहनत और हुनर को खरीद ना सके।
जमाने में वही लोग हम पर उंगली उठाते हैं जिनकी हमें छूने की औकात नहीं
भूल होना प्रकृति है, मान लेना संस्कृति है, और सुधार लेना प्रगति है!
अजीब दस्तूर है ज़माने का, अच्छी यादें पेनड्राइव में और बुरी यादें दिल में रखते है
डट कर करना सामना तुम मुश्किलों का, एक दिन वक्त भी तुम्हारा गुलाम होगा
ज़िंदगी ना कर जिद उनसे बात करने की, वो बड़े लोग हैं अपनी मर्जी से बात करेंगे
एक व्यक्ति द्वारा स्वामी विवेकानंद से पूछा गया, सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है ? स्वामी जी ने उत्तर दिया की “वो ऊमीद खोना जिसके भरोसे पर हम सब कुछ वापस पा सकते है!
हार मत मानो, हंमेशा अगला मौका ज़रूर आता है!
जिसने अपनी इच्छाओं पर काबू पा लिया उस व्यक्ति ने समझो अपने दुखों पर काबू पा लिया