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इंसान का सारा ध्यान आज बस इस बात पर है कि ज़िंदगी जीने के तरीकों में कैसे सुधार किया जाए
अहंकार में डूबे इंसान को, ना तो खुद की गलतियां दिखाई देती है और ना दूसरों की “अच्छी” बात।
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert
शब्द ही इंसान का आइना होते हैं, शक्ल तो उम्र और समय के साथ बदल जाती है
मुस्कुराते हुए इंसान को कभी जब देखना, हो सकता है रूमाल गिला मिले
दुःख तुमने मुझे नहीं दिया है, मैंने अपने आप को दुःख दिया है.
मंजिलें बड़ी ज़िद्दी होती हैं हासिल कहाँ नसीब से होती हैं मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैं।
मुस्कुराते इंसान की कभी जेबें टटोलना, हो सकता है उसका रुमाल गिला मिले.
इंसान का असली चेहरा तब सामने आता हैं जब वो नशे में होता हैं... फिर चाहे नशा पैसे का हो, पद का हो, शक़्ल का हो या शराब का...
जो इंसान सही और गलत, पसंद और नापसंद के दायरे में ही फंसा हुआ है, वह प्रेम के तानेबाने को कभी नहीं जान पाएगा।