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झूठ और दिखावे की रफ्तार कितनी भी तेज हो, पर मंजिल तक केवल सच ही पहुँचता है

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सच को तो तमीज़ ही नहीं बात करने की, झूठ को देखो कितना मीठा बोलता है!
जो लोग ठोकर खाकर भी चलते रहते हैं, वही एक दिन मंजिल पाते हैं ।
मंज़िल उन्हीं को मिलती है , जिनके सपनों में जान होती है
उम्मीद की ऊर्जा से जीवन का कोई भी अंधेरा रोशन किया जा सकता है
सदैव अकेले खड़े होने का साहस कीजिए, दुनिया ज्ञान देती है, साथ नहीं
ख्वाहिशो को आप कितना ही पूरा कर लो , ज़िंदगी पूरी हो जाएगी मगर ये पूरी
मेहनत के इतने करीब हो जाओ कि मंज़िल आपसे फिर दूर ना
पतझड़ में ही रिश्तों की परख होती है, बारिश में तो हर पत्ता हरा ही दिखता है
मंज़िल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है ।
जीवन की एक कड़वी सच्चाई, यहां झूठ आसानी से बिक जाता है और सच को कोई खरीदना नहीं चाहता।