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आपके शरीर की सबसे सुंदर चीज है मन, ऐसे इसे विचारों से मैला न करे।
मन का भाव पुण्य से बढ़कर है।
अपनी ख़ुशी की जिम्मेदारी आप खुद सम्भालो, इसको किसी दूसरे के हाथो में मत जाने दो।
सफलता का मुख्य आधार सकारात्मक सोच और निरंतर प्रयास है इसलिए हमेशा सकारात्मक रखिए !
आपका किसी व्यक्ति या वस्तु के प्रति कोई कर्तव्य नहीें है। अगर आपमें प्रेम और सेवा-भाव है; तो आप वही करेंगे जिसकी आवश्यकता है।
अपनी खराब परिस्थिति के बाद भी, यदि कोई व्यक्ति आपके साथ है तो उसकी इज्जत कीजिए।
जल्दबाज़ी और गुस्से में किए गये कार्य सदैव दुखदायी होते है, क्रोध वो तुफान है जिसके थमने के बाद हुए नुकसान का पता चलता है…
किसी की निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को नहीं छोड़े, क्योंकि अक्सर लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।
न सफलता दूसरों की कमी होती है, न ही विफलता, बल्कि हमारी जिम्मेदारी का परिणाम होता है
पुत्र कुपुत्र हो सकता है लेकिन माता कभी कुमाता नहीं हो सकती।