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तुम ना ही मिलते तो अच्छा था,
तुम बस काबिल हो बस मेरी नफरत के।
मैं बिन फेरों के भी रिश्ता निभाऊंगा बश तुम मेरा हाथ थामें रखना
मगर लोग मोहब्बत का सुबूत ज़रूर मांगते है।
मैं प्यार का इस्तीफा
चाहे जितना भी टाइम लग जाए पर मुझे इस जिंदगी में सिर्फ तू ही चाहिए
बात जो भी हो सामने बया होती है ए दोस्त इश्क़ में चालाकियाँ कहाँ होती है
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।
समझ लेना तुम मुझे मेरे बिना कहे खामोशी समझना भी प्रेम ही है
ये वही लोग है जिन्हें प्यार में सिर्फ नफरत ही मिलती है।