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प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है ।

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केवल वे ही लोग, जो अपने दिमाग का कचरा किनारे रख सकते हैं, वास्तव में प्रेम और करुणा के काबिल होते हैं ।
अगर खुशी के आंसुओं ने, प्रेम के आंसुओं ने, परमानंद के आंसुओं ने आपके गालों को नहीं धोया है, तो आपने अभी तक जीवन का अनुभव नहीं किया है ।
सोचता हूं आज इश्क जता दूं क्या तुमसे मोहब्बत है यह तुम्हें बता दूं क्या.
दर्द में हूँ देदे अपनी बाँहों की सुकून वाली रात तू है मेरी मोहब्बत मेरी सुकून आस.
उसके सादगी की कोई इन्तहा नहीं है, यही तो मेरे प्यार करने के वजह रही है, माना की उसमे अलग कुछ भी नहीं है, पर जो उसमे है वो किसी और में नहीं है.
मेरी यादो मे तुम हो, या मुझ मे ही तुम हो, मेरे खयालो मे तुम हो, या मेरा खयाल ही तुम हो, दिल मेरा धडक के पूछे, बार बार एक ही बात, मेरी जान मे तुम हो, या मेरी जान ही तुम हो.
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है।
प्रेम की गहराई को जानने के लिए आपके कम-से-कम कुछ अंश को मिटना होगा। वरना किसी दूसरे के लिए जगह नहीं होगी ।
कुछ लोग खोने को प्यार कहते हैं, तो कुछ पाने को प्यार कहते हैं, पर हकीक़त तो ये है, हम तो बस निभाने को प्यार कहते हैं.
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है।