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गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपन, गोविंद दियो बताय।
प्रेम तो खुद का पूर्ण समर्पण है इसमें ईगो और अनादर का कोई स्थान नहीं होता.
भगवान सिर्फ उन्हीं की सहायता करता है जो लोग खुद अपनी सहायता स्वयं करते हैं।– स्वामी विवेकानंद
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है।
जिस व्यक्ति के अंदर स्वयं को खोने का डर नहीं है, जो इससे मुक्त हो चुका है, वही प्रेम को जान सकता है, वही प्रेम बन सकता है ।
भाइयों में प्रेम होगा तो लोगों को परेशानी होगी।
मुश्किलें सिर्फ परीक्षा होती हैं, सफलता के लिए तैयार हो जाओ ।
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है।
अगर कोई आपको इसलिए प्यार करता है कि आप उनके हैं, तो यह प्यार इसलिए है क्योंकि वे आपको अपनी संपत्ति मानते हैं। अगर इस बात के लिए कोई आपसे प्यार करता है, कि आप कौन हैं, तो आप भाग्यशाली हैं ।
समझ लेना तुम मुझे मेरे बिना कहे खामोशी समझना भी प्रेम ही है