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जो इंसान सही और गलत, पसंद और नापसंद के दायरे में ही फंसा हुआ है, वह प्रेम के तानेबाने को कभी नहीं जान पाएगा।
प्रेम दिवस कैसे मनाता चारों तरफ गम के बादल छाए थे, नमन है मेरा उन शहीदों को जो तिरंगा ओढ़ कर आए थे.
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है।
मूल रूप में, प्रेम का अर्थ हैः पसंदों और नापसंदों से ऊपर उठ जाना।
प्रेम कोई ऐसी चीज नहीं हैए जो आप करते हैंए बल्कि जो आप स्वयं हैं।
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है ।
तुम बस काबिल हो बस मेरी नफरत के।
निकाल दिया उसने अपनी जिंदगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
प्रेम तो खुद का पूर्ण समर्पण है इसमें ईगो और अनादर का कोई स्थान नहीं होता.
प्रेम का रंग नयापन लाता है, अगर ज़िंदगी में थोड़ा प्यार करोगे तो तुम्हारा जीना भी रंगीन हो जाएगा।