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मजबूत बनो मेरे दोस्त, ये दुनिया किसी पर रहम नहीं करती
ज़िन्दगी तेरे भी कितने नखरे है, एक दिन हँसाकर महीनों रुलाती है।
जो इंसान सही और गलत, पसंद और नापसंद के दायरे में ही फंसा हुआ है, वह प्रेम के तानेबाने को कभी नहीं जान पाएगा।
इंसान एक ऐसा ग़ाफिल मंसूबा साज़ है कि वह अपनी सारी जिंदगी की प्लानिंग में कभी अपनी मौत को शामिल ही नहीं करता।
आप कितने भी अच्छे इंसान हो पर किसी ना किसी के लिए बुरे जरूर होंगे, क्योंकि लोग हमेशा अपने स्वार्थ के अनुसार आपके बारे में सोचते हैं
खुद को मजबूत करने का असल मजा भी तब है जब सारी दुनिया मिलकर आपको कमजोर करने में लगी हो।
मैदान में हारा हुआ इंसान फिर से जीत सकता है, लेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी नहीं जीत सकता।
जो इंसान मन की तकलीफों को नही बता पता, उसे ही गुस्सा सबसे ज्यादा आता है।
इंसान का असली चेहरा तब सामने आता हैं जब वो नशे में होता हैं... फिर चाहे नशा पैसे का हो, पद का हो, शक़्ल का हो या शराब का...
उस ऊपर वाले पर भरोशा जरूर रखना, जिसने आज तक आपको झुकने न दिया आगे भी नही देगा।