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किस्मत की लकीरों पर ऐतबार करना छोड़ दिया, जब इंसान बदल सकते हैं तो किस्मत क्यों नहीं
मैं अकेली हूं लेकिन फिर भी मैं हूं मैं सब कुछ नहीं कर सकती, लेकिन मैं कुछ तो कर सकती हूं और सिर्फ इसलिए कि मैं सब कुछ नहीं कर सकती मैं वह करने से पीछे नहीं हट दूंगी जो मैं कर सकती हूं।” – हेलन केलर
रखना था फासला पर तुमसे दिल लगा बैठे, फिर तुम भी ना हासिल हुए और खुद को भी गवा बैठे
मैने अपनी परछाई से पूछा तुम मेरे साथ क्यों चलती हो, परछाई ने मुस्कुरा कर बोला अरे पागल मेरे सिवा तेरा है ही कौन
माना दूरियां कुछ बढ़ सी गई है, मगर तेरे हिस्से का वक्त हम आज भी तनहा गुजरते हैं
कुछ पल का साथ देकर तुमने, पल पल के लिए बेचैन कर दिया
मुझपर बहुत जिम्मेदारियां थी मेरे घर की, माफ करना मैं तेरे इश्क में मर नहीं सकता
जो प्रेमी पूजते है अपनी प्रेमिका इष्ट की तरह, तय है उनका हवन की तरह जलना
बड़ी अजीब होती है ये यादें, कभी हसा देती है, कभी रुला देती है
लोग कहते हैं दु:ख बुरा होता है जब भी आता है रुलाकर जाता है लेकिन हम कहते दु:ख अच्छा होता है जब भी आता है कुछ सिखा कर जाता है !!