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कितना अजीब है लोगों का अंदाज-ऐ-मोहब्बत, रोज एक नया जख्म देकर कहते हैं अपना ख्याल रखना

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सहमी हुई थी झोपड़ी बारिश के खौफ से, मेहलो की आरजू थी के बारिश जरा जम के बरसे
बस इसलिए हम कुछ नहीं कहते तुमसे, तुम समांझोगे नही और हम रो देंगे
जहां में डूबा था मुझे वही किनारा चाहिए, तू फिर आ मेरे पास मुझे तू दोबारा चाहिए
जीवन में अगर ये समज गये की क्या याद रखना है और क्या भूलना तो आप बहुत आगे निकल गये हो ।
यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं की, खैरियत पूछने वाला आपकी खैरियत भी चाहता हो
मुझपर बहुत जिम्मेदारियां थी मेरे घर की, माफ करना मैं तेरे इश्क में मर नहीं सकता
हमे तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जाणते मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बीना।
मैने अपनी परछाई से पूछा तुम मेरे साथ क्यों चलती हो, परछाई ने मुस्कुरा कर बोला अरे पागल मेरे सिवा तेरा है ही कौन
सपने देख लेना पर पूरा करने कि हिम्मत भी रखना।
मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है…!! “मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है लेकिन…. “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है