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मैं अकेला रह जाता मायूसी भर के, जो तू मेरे घर का चिराग ना बनती मैं फिर कभी ऐसा हसमुख ना होता, जो तू बहना मेरा मान ना बनती
जब परिवार के सदस्य अप्रिय लगने लगे और पराये अपने लगने लगे, तो समझ लीजिए विनाश का समय आरंभ हो गया है।
जीत जाए या हार जाए इंसान की ख्वाहिश होती है की अपने परिवार के पास जाय।
भाग्य तो आजकल सब बनाते है पर, अपना परिवार कोई कोई बना पाता है
ये मायने नहीं रखता की आपका परिवार कितना बड़ा है ये मायने रखता है की आपके परिवार में प्यार कितना है।
रोटी तो हर कोई कमाता है लेकिन कुछ ही लोग रोटी परिवार के साथ बैठ कर खाते है
मिट्टी का मटका और परिवार की कीमत, सिर्फ बनाने वालो को पता होती है, तोड़ने वालो को नहीं
परिवार कोई ज़रूरी चीज़ नहीं है। इसमें सब कुछ प्यार सम्मान सुरक्षा और अपनापन होना चाहिए।
बसंत की बहार लिए तूं एक अलग किस्म की फुलकारी है बहन मेरी किस्मत है अच्छी, जो तुझसे मेरी यारी है-मयंक विश्नोई
मैं कभी भी सपने देखना बंद नहीं करूंगा कि एक हम एक असली परिवार बन सकते हैं, हम सब एक साथ हंस रहे हैं और बात कर रहे हैं, प्यार कर रहे हैं और समझ रहे हैं, अतीत को नहीं बल्कि भविष्य को देख रहे हैं।