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मैं अकेला रह जाता मायूसी भर के, जो तू मेरे घर का चिराग ना बनती मैं फिर कभी ऐसा हसमुख ना होता, जो तू बहना मेरा मान ना बनती

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आशाओं की किरण ओझिल हो नहीं सकती नारी भी कभी यूँ ही अवला हो नहीं सकती मेरी बहन को देखा मैंने, जो वीरांगना की परिभाषा हैं उसके होने पर मैं निर्भय, वो मेरी विजय की आशा है
तेरे साहस को सलाम बहन, तेरे जज़्बातों में जान है तेरे आँचल में पलने वाला, तेरे तप से बना महान है-मयंक विश्नोई
आकाश में जितने भी तारे हैं या कि वह प्रतिबिंब हमारे हैं बगिया है जैसे बहना की तरह, जिसने फूल दिए कई सारे हैं।
मेरी बहन ही है जो हर दिन मेरा हाल पूछती है। वह मेरे सवालों पर हंसता है और सुबह-शाम मेरी चिंता करता है।
माता पिता की आंख से दो बार ही आंसू आते हैं, एक लड़की घर छोड़े तब और दूसरा बेटा मुंह मोड़ ले तब.
जो समस्याएं तुम्हें सताने लगे, कोई तुम पर उंगली उठाने लगे डरना नहीं-घबराना नहीं, बहन एक बार बढ़े क़दम को पीछे हटाना नहीं-मयंक विश्नोई
पाँच तत्व के इस पुतले ने तुझसे पाया जीने का मकसद मेरी बहन तेरे होने से ही, भाई तेरा खुशहाल है अब तक-मयंक विश्नोई
इंद्रधनुष के सात रंगों सी, हैं प्यारी बहन तेरी मुस्कान जैसे आशाओं के दीप के आगे नतमस्तक सारा जहान-मयंक विश्नोई
चार युगों में सिमटी श्रृष्टि, चार पहर का सन्नाटा है बहन तुम्हारे कदमों में बैठ, मन मेरा निश्चल हो जाता है-मयंक विश्नोई
घर में जब कोई आपके साथ नहीं होता, भाई तब भी आपके साथ खड़ा होता हैं।