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माहौल यहा कुछ इस तरह है। अजब सी कशीश हर एक मनमे। जी रहा है ,हरकोई डर डर के.. मांग रहा है ,जिंदगी मर मर के ए खुदा के बंदे , ढुंड जरा जमानेमे खुशीया हजार मिलेंगी, हर एक पलमे लाखो जनम जी लेगा , बस तू एक बार जीना सीख ले।
अपने घर के कमजोर लाचार लोगो को नफरत और नीची निगाह से मत देखो, हो सकता है तुम्हे भगवान रोजी-रोटी उन्ही के नसीब से देता हो।
"अपेक्षा" और "उपेक्षा" दोनों का होना ही गलत है "अपेक्षा" खुद को घायल करती है "उपेक्षा" दूसरों को।
जो कर्म करने के बाद फल की भी इच्छा नही रखता, उसकी मदद के लिए तो खुद भगवान को रास्ता बनना पड़ता है।
मेरे लिए एक समीकरण का कोई मतलब नहीं है, जब तक कि यह भगवान के बारे में एक विचार व्यक्त नहीं करता है।
ऐसी दुनिया का आगाज़ करो जो कल करो सो आज़ करो - चंदन की कलम
मन का उधड़ा वसन है सिलेगा नहीं फूल उपवन मे कोई खिलेगा नहीं यूँ तो मुझसे भी बेहतर मिलेंगे मगर मेरा पर्याय तुमको मिलेगा नहीं..! - अनन्या राय पराशर
जब इंसान जिंदगी कि अपनी सभी इच्छाओं से, मुक्त हो जाता है या कहो वो अपने सारे इन्द्रियों को, अपने काबु में रखता है, तब ही उसे शांति मिल सकती है!
पैसा" आज के जमाने में इज्ज़त भी पैसे देखकर किए जाते हैं, बिना पैसे के तो लोग ज़रूरत भी नहीं समझते। -तेजस्विनी कुमारी
दिल के रिश्तों में पैसों का हिसाब नही होता... क्यूं की पैसों से चीजों का सौदा होता है , इंसानों का नहीं, और अगर हो सौदा रिश्तों में तो वो रिश्ता दिल से नही होता - prabhamayee parida