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हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, मेरी किश्ती थी डूबी वहां, जहाँ पानी कम था…

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प्यार हम दोनों ने किया, मगर तड़पना सिर्फ मेरे नसीब में आया
दुनिया में प्यार से ज़्यादा दर्द कुछ नहीं होता
दुःख छुपाने के कमाल को हसी कहते है
मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ,कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश मैं हूँ!
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है, मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग है
जिसका दिल ग़म की तन्हाइयों में उजड़ गया हो, वो बाहर से कितना ही सेहतमंद लगता हो, लेकिन अंदर से तो बीमार ही रहता है
हम आने वाले ग़म को खिंचतान कर आज की ख़ुशी पे ले आते है, और उस ख़ुशी में ज़हर घोल देते है… – आनंद
ताश का जोकर, और अपनों की ठोकर, अक्सर वाजी पलट देते है।
छोटी सी जिंदगी है, हँस के जियो, भुला के गम सारे दिल से जियो, अपने लिए न सही अपनों के लिए
दुख तो मुफ्त में मिलते है, लेकिन सुख की कीमत तो देनी ही पड़ती है