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हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, मेरी किश्ती थी डूबी वहां, जहाँ पानी कम था…

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कितना अजीब भ्रम है ये मानना कि सुन्दरता अच्छाई है
उसने रुलाया है, वही हँसाएगा
सभी खुशहाल परिवार एक दुसरे से मिलते जुलते हैं, हर एक नाखुश परिवार अपने ही किसी कारण से नाखुश है .
जिंदगी में अगर बुरा वक्त नहीं आता तो अपनों में छुपे हुए गैर और गैरों में छुपे हुए अपनों का कभी पता न चलती
सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी नहीं पार कर सकते.
जिसका दिल ग़म की तन्हाइयों में उजड़ गया हो, वो बाहर से कितना ही सेहतमंद लगता हो, लेकिन अंदर से तो बीमार ही रहता है
दुख तो मुफ्त में मिलते है, लेकिन सुख की कीमत तो देनी ही पड़ती है
ज़रा सी वक़्त ने करवट क्या ली, गैरों की लाइन में सबसे आगे अपनों को पाया हमने!
दर्द की दवा न हो, तो दर्द को ही दवा समझ लेना चाहिए…
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है, मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग है