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ज़िन्दगी एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।

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ज़िंदगी में कभी खुद से तो कभी सब से लड़ना पड़ता है, ज़िंदगी क्या है, इस सवाल को पहले समझना पड़ता है।
अगर ज़िन्दगी में कुछ पाना है तो अपने तरीक़े बदलो इरादे नहीं.
ज़िंदगी में यदि खुश रहना है, तो हक़ीक़त को अपनाना सीखों।
ज़िन्दगी मुझे सताती बहुत है, मेरी मेहनत देख खफ़ा जो रहती है।
जो लोग सपनों को सच करते हैं, वहीं ज़िन्दगी का सही अर्थ समझते हैं।
एक सवेरा था जब हंसकर उठते थे हम, और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है।
जब दूसरे सो रहे हों, आप काम/पढ़ाई करो. . जो उनके सपने हैं, वो ज़िन्दगी आप जियोगे
जो उम्मीद दूसरों से करते हो वो खुद से करो और ज़िन्दगी की नई शुरुआत करो।
एक तुम जो मुस्कुराते हो तो, ज़िन्दगी, ज़िन्दगी सी लगती है
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग