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कहा मिलेगा तुम्हे मुझ जैसा कोई, जो तुम्हारे सितम भी सहे, और तुमसे मोहब्बत भी करे!
जब ‘दर्द’ और ‘कड़वी’ बोली दोनों मीठी लगने लगे तब समझ लीजिये कि जीना आ गया
कोई सबूत नहीं होता है मोहब्बत का सामने नाम लेने पर धड़कने बढ़ जाए तो समझो मोहब्बत बेइंतेहा है !
सोचता हूं आज इश्क जता दूं क्या तुमसे मोहब्बत है यह तुम्हें बता दूं क्या..
तेरी हर एक बात को हंसते-हंसते सह लूंगा बस मोहब्बत में शामिल कोई और ना हो
उदास करती है मुझे हर रोज़ ये शाम, ऐसा लगता है जैसे कोई भुला रहा है धीरे-धीरे…!!
यूँ सिमट गया मेरा प्यार चंद अल्फाज़ो में ! जब उसने कहा मोहब्बत तो है पर तुमसे नहीं.
मोहब्बत का दर्द तब होता है, जब तू दूर है और मेरी रातें लम्बी होती है!
दर्द कम नहीं हुआ है मेरा ! बस सहने की आदत हो गयी है !!
जवाब सुनकर वह भी रोने लगा कहीं ना कहीं मेरे दर्द में खोने लगा