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प्रेम एक समाहित करने की प्रक्रिया है। जब एक बार आपको मैं अपने एक अंश के रूप में शामिल कर लेता हूं, मैं आपके साथ वैसा ही होऊंगा, जैसा मैं खुद के साथ हूं। - सद्गुरु
भाइयों में प्रेम होगा तो लोगों को परेशानी होगी।
समझ लेना तुम मुझे मेरे बिना कहे खामोशी समझना भी प्रेम ही है
वासना एक ज़बरदस्त ज़रूरत है; प्रेम कोई ज़रूरत नहीं है। जब आप प्रेम करते हैं, तब आप तृप्त हो जाते हैं, और किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं रहती। प्रेम में, आप बस यहाँ बैठकर अपना पूरा जीवन बिता सकते हैं।
प्रेम की गहराई को जानने के लिए आपके कम-से-कम कुछ अंश को मिटना होगा। वरना किसी दूसरे के लिए जगह नहीं होगी ।
प्रेम हमेशा सच्चा नहीं होता। ज्यादातर समय तो यह एक भ्रम होता है। लेकिन एक बात सच है, प्यार के बिना जीवन फीका है।
प्रेम तो खुद का पूर्ण समर्पण है इसमें ईगो और अनादर का कोई स्थान नहीं होता.
प्रेम कोई सहूलियत का साधन नहीं है। यह खुद को मिटाने की एक प्रक्रिया है।
भाइयों में प्रेम होने से टेंशन खत्म हो जाती हैं।
प्रेम कोई काम नहीं बल्कि एक गुण है ।