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ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग
कितना मुश्किल होता है उस शख्स को मनाना, जो रूठा भी ना हो और बात भी ना
लोग शादी करते हैं क्योंकि वे प्राकृतिक शक्तियों का प्रतिरोध नहीं कर पाते, हालांकि उनमें से बहुत से लोग अच्छी तरह से जानते हैं कि वे संभवत
जब प्यार करने वाले अपने जज़्बातों को दबाकर रिश्तों को कोई दूसरा नाम देते है
कितना अजीब है लोगों का अंदाज-ऐ-मोहब्बत, रोज एक नया जख्म देकर कहते हैं अपना ख्याल रखना
आंखें खुली रखो तो आंसूं भी काले और बंद करू तो सपने भी
कितने अजीब हैं ये जमाने के लोग, खिलौना छोड़ कर जज़बातों से खेलते है।
हम हार गए क्योंकि हमने खुद से कहा कि हम
दुःख छुपाने के कमाल को हसी कहते
बड़ी अजीब होती है ये यादें, कभी हसा देती है, कभी रुला देती है