#Hindi Quote
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मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ,कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश मैं हूँ!
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है
हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था, मेरी किश्ती थी डूबी वहां, जहाँ पानी कम था…
हम आने वाले ग़म को खिंचतान कर आज की ख़ुशी पे ले आते है, और उस ख़ुशी में ज़हर घोल
दर्द की दवा न हो तो दर्द को ही दवा समझ
सभी खुशहाल परिवार एक दुसरे से मिलते जुलते हैं, हर एक नाखुश परिवार अपने ही किसी कारण से
दुख तो मुफ्त में मिलते है लेकिन सुख की कीमत तो देनी ही
दुःख तुमने मुझे नहीं दिया है मैंने अपने आप को
दुःख छुपाने के कमाल को हसी कहते
मैं ज़िन्दगी से नहीं अपने आप से नाराज़