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तुम बस काबिल हो बस मेरी नफरत के।
जैसे कभी जानते ही नहीं थे
गुरुर किस बात का साहब, आज मिट्टी के उपर, तो कल मिट्टी के निचे
निपुणता हमेशा आपके आसपास के लोगों के प्रति आपके प्रेम और परवाह का नतीजा होनी चाहिए - न कि एक मशीनी और उदासीन कार्य-भावना का।
हिम्मत की बात नहीं करिए जब इसकी बात आती है, मैं खुद को भी भूल जाता हूँ।
किसी से नफरत रखने में उतना मजा नहीं है, जितना उसे माफ कर भुला देने में है।
तुम ना ही मिलते तो अच्छा था,
तेरी हर एक बात को हंसते-हंसते सह लूंगा बस मोहब्बत में शामिल कोई और ना हो
जैसे प्यार को मानते ही नहीं थे।
जो लोग छोटी सी बात पर भी अपनी आँखों के नीर को नहीं रोक पाते, वास्तव में वह लोग दिल के बड़े सच्चे होते हैं|