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तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया बना के रास्ता जो भीड़ से निकल

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तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया।
भाग्य (नियति) हमें दो तरह से तोडता है – हमारी इच्छाओं को अस्वीकार करके और उन्हें पूरा करके - हेनरी फ्रेडरिक एमिल
मंजिलें क्या है, रास्ता क्या है?, हौसला हो तो फासला क्या है
यदि यह आपके लिए महत्वपूर्ण है, तो आपको एक रास्ता मिल जाएगा। नहीं तो कोई बहाना ढूंढ़ लेंगे
जो रातों को कोशिशों में गंवा देते हैं, वहीं सपनों की
तरक्कियों की दौड़ में उसी का जोर चल गया, बना के रास्ता जो भीड़ से निकल गया!
एक दिन वर्षों का संघर्ष बहुत खूबसूरत तरीके
भाई पर रख विश्वास और आस्था, कितनी भी मुश्किल हों निकलेगा रास्ता।
अपने लक्ष्य के लिए जोशीले और जुनूनी बनिए… विश्वास रखिए, परिश्रम का फल सफलता ही
असंभव शब्द का प्रयोग केवल कायर ही करते हैं, बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना मार्ग स्वयं