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रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा

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किसी भी कार्य करने के लिए तुरन्त उठो, जागो और तब तक नही रुकना जब तक लक्ष्य हासिल न हो
किसी के पैरों में गिरकर कामयाबी पाने से बेहतर है, अपने पैरों पर चलकर कुछ बनने की ठान
जो तुमसे तंग आ जाए उसे छोड़ दो, क्योंकि बोझ बन जाने से याद बन जाना बेहतर है..
मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी परछाई सदैव काली होती है…!! “मैं श्रेष्ठ हूँ” यह आत्मविश्वास है लेकिन…. “सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ” यह अहंकार है
एक ही मंज़िल तक कई रास्ते जाते हैं, तू रास्ता बदलकर तो देख तू पहुंचेगा ऊंचाइयों तक, दोबारा चलकर तो
खुल जाएंगे सभी रास्ते, रुकावटों से लड़ तो सही सब होगा हासिल, तू जिद्द पर अड़ तो
कोई भी लक्ष्य मनुष्य ने साहस से बड़ा नहीं, हरा वही है बस, जो लड़ा
रुकावटें आती है सफलता की राहों में, ये कौन नहीं जानता फिर भी वह मंज़िल पा ही लेता है, जो हार नहीं
आप तब तक नहीं हार सकते, जब तक आप कोशिश करना नहीं छोड़
हमे तुमसे प्यार कितना ये हम नहीं जाणते मगर जी नहीं सकते तुम्हारे बीना।