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न कर फ़िक्र की जमाना क्या सोचेगा, ज़माने को अपनी ही फ़िक्र से फुरसत कहाँ!
अगर आपने सफर शुरू कर ही दिया है तो बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि वापस आने में जितनी दूरी तय होगी क्या पता मंजिल उससे भी पास हो।
रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ
गलत और गुस्से में लिया गया निर्णय इंसान को कभी कोई ख़ुशी नहीं देता, ऐसे निर्णय इंसान तभी लेता है जब उसे, उसकी ज़िंदगी में सही विचार, नई सोच देनेवाला नहीं होता ,और वह खुद सही करने का प्रयास नही करता,
इंतज़ार मत करिए, सही समय कभी नहीं आता!
जीवन लम्बा होने की बजाये, महान होना चाहिए!
हौसले बुलंद कर रास्तों पर चल दे.. तुझे तेरा मुकाम मिल जाएगा, बढ़कर अकेला तू पहल कर देखकर तुझको, काफिला खुद बन जाएगा।
भूल होना प्रकृति है, मान लेना संस्कृति है, और सुधार लेना प्रगति है!
आज के समय, लोग अपने ज़िंदगी के तकलीफो, समस्याओ में कुछ इस तरह उलझे है, की उन्हें अपनी ज़िदगी के सही निर्णय लेने की समझ ही नहीं रही|
जिस बात से डर लगता हो, उस क्षेत्र में अपना ज्ञान बढ़ाना आरंभ कर दें, डर भाग जाएगा, डर सदैव अज्ञानता से उपजता है !