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आप दुखो को गिनने बैठ जाओगे, जाहिर है खुशियों की गिनती भूल जाओगे।

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अपार आशाओं का खेल था सारा, मैंने इस खेल को समझा और देखते ही देखते जीत मेरी ही हुई।
जीवन की हर परिस्थिति में जिसने ढलना सीख लिया, खुशियों ने आगे बढ़कर उसका दामन सींच दिया।
अभी तो असली उड़ान बाकी है, परिंदे का इम्तिहान बाकी है, अभी अभी तो लांघा है समुंदर, अभी तो पूरा असमान बाकी है!
राखी का त्योहार आया है, अपने संग खुशियों की सौगात लाया है। मेरी प्यारी बहन, तेरे बिना यह त्योहार अधूरा है, रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं !
ज़िन्दगी की हक़ीक़त को बस इतना ही जाना है , दर्द में अकेले हैं खुशियों में ज़माना है
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हम ही हैं जो अपनी आँखों पर हाँथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार हैं।
दर्द, गम, डर जो भी है बस तेरे अंदर हैं, खुद के बनाये पिंजरे से निकल कर देख, तू भी एक सिकंदर है!
किसी से कोई उम्मीद करना मूर्खता है, उम्मीदें आपको दुख के सिवा कुछ नहीं देतीं।
जो व्यक्ति हर वक्त दुख का रोना रोता है, उसके द्वार पर खड़ा सुख बाहर से ही लौट जाता है।
हर दुःख आने वाले सुख की चिठ्ठी होती है, और हर नुक्सान होने वाले फायदे का इशारा. – देवदास