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सभी को खुश तो भगवान भी नहीं रख सकता फिर आप तो केवल एक इंसान हैं।
इंसान एक ऐसा ग़ाफिल मंसूबा साज़ है कि वह अपनी सारी जिंदगी की प्लानिंग में कभी अपनी मौत को शामिल ही नहीं करता।
ज़िन्दगी में कुछ ज़ख्म ऐसे होते है जो कभी नहीं भरते बस इंसान उन्हें छुपाने का हुनर सीख जाता है
मुस्कुराते इंसान की कभी जेबें टटोलना, हो सकता है उसका रुमाल गिला मिले.
जो बनाए हमें इंसान और दे सही-गलत की पहचान देश के उन निर्माताओं को हम करते हैं शत-शत प्रणाम! हैप्पी टीचर्स डे!
इंसान एक ऐसा ग़ाफिल मंसूबा साज़ है कि वह अपनी सारी जिंदगी की प्लानिंग में कभी अपनी मौत को शामिल ही नहीं
लक्ष्य आपका है तो मेहनत आपको ही करनी होगी कोई और क्यों आपकी मदद करेगा ।
जिस किताब की कहानी कुछ अपनी सी लगे, उसे अपने दिल के करीब रखिए,
इंसान का सारा ध्यान आज बस इस बात पर है कि ज़िंदगी जीने के तरीकों में कैसे सुधार किया जाए
किसी से नफरत रखने में उतना मजा नहीं है, जितना उसे माफ कर भुला देने में है।