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कभी-कभी आपको अहंकार के लिए नहीं बल्कि आत्म-सम्मान के लिए छोड़ना पड़ता है।

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अहंकार और अकड़ दोनों एक बीमारी हैं, एक ना एक दिन समय इसका इलाज जरूर करता है
अपने आप को इतना प्यार करो कि अपने आप को उन लोगों से घेर लो जो तुम्हारा सम्मान करते हैं।
आप कौन हैं उन मूल्यों से परिभाषित होते हैं जिनके लिए आप संघर्ष करने को तैयार हैं।
आत्म-सम्मान से भरी हर मुस्कान आपके आत्म-विश्वास की कहानी कहती है
अहंकार में डूबे इंसान को, ना तो खुद की गलतियां दिखाई देती है और ना दूसरों की “अच्छी” बात।
हाँ’ या ‘हो सकता है’ कहना जब हमारा मतलब ‘नहीं’ होता है, हमारे शब्दों को चीप बना देता है, हमारे आत्म-सम्मान की भावना कम हो जाती है, और हमारी अखंडता से समझौता हो जाता है। -पाउलो कोइल्हो
खुद को नीचा दिखाना आत्म-सम्मान की हत्या है, खुद को उठाना उसकी पूजा।
दूसरों को खुश करने के लिए अपने मूल्यों से समझौता न करें। अपने स्वाभिमान को अक्षुण्ण रखें और चले जाएँ।
कभी-कभी दूर जाने का कमजोरी से कोई लेना-देना नहीं होता है, और सब कुछ ताकत से होता है। हम दूर चले जाते हैं इसलिए नहीं कि हम चाहते हैं कि दूसरे हमारे मूल्य का एहसास करें, बल्कि इसलिए कि हम अंततः अपने खुद के मूल्य का एहसास करते हैं।
पाप निःसंदेह बुरा है; लेकिन उससे भी बुरा है पुन्य का अहंकार।