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इसलिए जो व्यक्ति झुक रहा है, वो पहाड़ चढ़ रहा है और जो अकड़ रहा है वो बड़ी तेजी से नीचे आ रहा है। (अल्बर्ट आइंस्टीन)
कोई काम शुरू करने से पहले स्वयं से तीन प्रश्न कीजिए मैं यह क्यों कर रहा हूं इसके परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं सफल होगा और जब गहराई से सोचने पर इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाए तभी आगे बढ़े
जीवन शाश्वत है, और प्रेम अमर है और मृत्यु केवल एक सीमा है, और एक सीमा कुछ भी नहीं है, बस हमारी दृष्टि की सीमा है … ॐ शांति
फिर वो आप पर हसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे और तब तक आप जीत जाएंगे। (महात्मा गांधी)
आप अपने भविष्य तो नहीं लेकिन जीने का तरीका जरुर बदल सकते हो।
और क्या देखने को बाक़ी है आप से दिल लगा के देख लिया
तो पूरा सागर गंदा नहीं हो जाता। (महात्मा गांधी)
बल्कि फैसले लेकर मैं खुद उन्हें सही कर देता हूँ। (रतन टाटा)
वह जो सोचता है वही बन जाता है। (महात्मा गांधी)
अगर खुशी के आंसुओं ने, प्रेम के आंसुओं ने, परमानंद के आंसुओं ने आपके गालों को नहीं धोया है, तो आपने अभी तक जीवन का अनुभव नहीं किया है ।