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स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी, जहां लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नह।
बहुत देखा है जिंदगी में समझदार बनकर, खुशी हमेशा पागल बनकर ही मिलती है
लोग कहते हैं हमसे तुम बहुत बदल गए हो ! तो अब क्या टूटे हुए पत्ते रंग भी न बदलें.
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में, बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका।
अब मत खोलना मेरी ज़िंदगी की पुरानी किताबों को.. जो था वो मैं रहा नहीं, जो हूं वो किसी को पता नहीं!
अब तो शायद ही मुझसे मुहब्बत करेगा कोई, तेरी तस्वीर जो मेरी आखों में साफ नजर आती है !
कौन कहता है आईना झूठ नहीं बोलता. वह सिर्फ होठों की मुस्कान देखता दिल का दर्द नहीं…
बहुत हुआ लड़ाई और गुस्सा करना। अब इसे छोड़ दें और अपने भाई-बहन को बताएं कि वो आपके लिए कितने कीमती हैं।
दर्द कम नहीं हुआ है मेरा ! बस सहने की आदत हो गयी है !!
आज तन्हा हुए तो अहसास हुआ ! कई घण्टे होते है एक दिन में !!