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प्रेम कोई रिश्ता नहीं है। प्रेम तो भावनाओं की एक तरह की मिठास है।
समझ लेना तुम मुझे मेरे बिना कहे खामोशी समझना भी प्रेम ही है
ख़ुशी, शांति और प्रेम – ये कोई आध्यात्मिक लक्ष्य नहीं हैं। यह सब तो समझदारीपूर्वक जीने की शुरुआत है ।
एक दिन सपना नींद से टूटा खुशी का दरवाजा फिर से रूठा
मूल रूप में, प्रेम का अर्थ हैः पसंदों और नापसंदों से ऊपर उठ जाना।
जिन्दगी जिन्हें ख़ुशी नहीं देती, उन्हें तजुर्बे बहुत देती है !
जिंदगी के रंग बदलते रहते हैं, हर रंग को खुशी के साथ स्वीकार करना सीखना है।
तुमसे मिलकर बात करके जो खुशी होती है वह खुशी आज तक किसी से मुझे नसीब नहीं हुई..
हम आने वाले ग़म को खिंचतान कर आज की ख़ुशी पे ले आते है, और उस ख़ुशी में ज़हर घोल देते है… – आनंद
आज खुदा ने मुझसे कहा भुला क्यों नहीं देते उसे मैंने कहा इतनी फिक्र है तो मिला क्यों नहीं देते !