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अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
नहीं बदल सकते हम खुदको औरों के हिसाब से, एक लिबास मुझे भी दिया है, खुदा ने अपने हिसाब ।
मुस्कुराते हुए इंसान को कभी जब देखना, हो सकता है रूमाल गिला मिले
जीवन की सच्चाई, अपने सपनों को खुदा बनाने में छुपी होती है।
सिर्फ मैं हाथ थाम सकूँ उसका, मुझ पे इतनी इबादत सी कर दे, वो रह ना पाऐ एक पल भी मेरे बिन, ऐ खुदा तू उसको मेरी आदत सी कर दे.
सवाल ज़हर का नही था, वो तो मैं पी गया, तकलीफ तो लोगो को तब हुई, जब मैं जी गया.!!!
तुम कहा हो मेरे करीब आओ, मैं कहा हु मुझे पता तो चले..!!!
हजारों मुकम्मल ख्वाबों के बीच, तेरा ना मिलना खलता बहुत है..!!!
जिंदगी की सच्चाई, अपने सपनों को खुदा बनाने में छुपी होती है।
मैं हर रात कुछ इस क़दर बिखरता हु, की मुझे समेटने के लिए ये रात सदियों में गुजरती है..!!!