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आंसूं किसी के दुःख को समझता नहीं है, और न ही किसी की ख़ुशी को
मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन ही जीते जाते हैं– अटल बिहारी वाजपेयी
खुशी कुछ तैयार नहीं होती, यह आपकी खुद की क्रियाओं से आती है।– दलाई लामा
कोई सहकर भी खुश रहता है , और कोई कहकर भी दुखी ही रहता है।
दो पल ठहर के मेरे पास वह आया पूछा मिली थी जो खुशी उसे क्यों ठुकराया
अगर सुबहे आपकी उदास रहेंगी , तो शामे फिर किस आस में रहेंगी।
अपने प्रेम, अपनी खुशी और अपने उल्लास को रोककर मत रखें। आप जो देते हैं, वही आपका गुण बन जाता है, न कि वह जो आप रोक कर उल्लास हैं।
अपनी ख़ुशी की जिम्मेदारी आप खुद सम्भालो, इसको किसी दूसरे के हाथो में मत जाने दो।
आँसुओ का कोई वज़न नहीं होता, लेकिन निकल जाने पर मन हल्का हो जाता है
तुम्हारे बिना तुम्हारे भाई के अस्तित्व का कोई अंदाज़ा नहीं! आपकी खुशी के बिना, खुशी की गिनती नहीं हो सकती