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ज़िन्दगी पल-पल ढलती है, जैसे रेत मुठ्ठी से फिसलती है कुछ खोकर पछताना क्यों, ज़िंदगी जैसी भी है बस एक ही बार मिलती है।
जब ज़िंदगी आपको पीछे धकेल दे, तो समझ जाना एक बड़ी छलांग लगाने का वक़्त आ गया है।
सोने से तो बस नींद पूरी होती है सपना पूरा करने के लिए तो उठना पड़ता है।
किसी की निंदा से घबराकर अपने लक्ष्य को नहीं छोड़े, क्योंकि अक्सर लक्ष्य मिलते ही निंदा करने वालों की राय बदल जाती है।
जीवन में अगर कोई आपके किये हुए कार्य की तारीफ़ न करे तो चिंता मत करना, क्यूंकि आप उस दुनिया में रहते है, जहाँ जलता तो तेल और बाती है पर लोग कहते है की दिपक जल रहे है!
इंसान का सारा ध्यान आज बस इस बात पर है कि ज़िंदगी जीने के तरीकों में कैसे सुधार किया जाए।
जीवन में एक लक्ष्य के प्रति समर्पित होना कुछ इस प्रकार है कि संघर्षों के पथ पर सफलता के लिए साहासिक कदम उठाना।
ज़िन्दगी भी अक्सर कमाल करती है, कभी देती है जवाब तो कभी सवाल करती है।
ज़िंदगी में कभी खुद से तो कभी सब से लड़ना पड़ता है, ज़िंदगी क्या है, इस सवाल को पहले समझना पड़ता है।
आशाओं के दीपक ही जीवन में अंधकार को मिटाते हैं।