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ज़िन्दगी एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।

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अगर ज़िन्दगी में कुछ पाना है तो अपने तरीक़े बदलो इरादे नहीं.
मैं ज़िन्दगी से नहीं अपने आप से नाराज़
आप अपने भविष्य तो नहीं लेकिन जीने का तरीका जरुर बदल सकते हो।
मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी में, बस हम गिनती उसी की करते है जो हासिल ना हो सका.
दिल में तेरी चाहत लबो पे तेरा नाम है, तू मोहब्बत कर या ना कर, मेरी ज़िन्दगी “तेरे नाम” है.
ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है, मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग है
सुना है वक़्त ज़िन्दगी को पूरा बदल देता है।
ज़िन्दगी एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी
ज़िन्दगी भी अक्सर कमाल करती है कभी देती है जवाब तो कभी सवाल करती है।
निंदा उसी की होती हैं जो ज़िन्दा हैं, मरने के बाद तो केवल तारीफ़ होती हैं।