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यूँ जमीन पर बैठकर क्यूँ आसमान देखता है पँखों को खोल जमाना सिर्फ उड़ान देखता है

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मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ,कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश मैं हूँ!
वो छोटी छोटी उड़ानों पर गुरुर नहीं करता, जो परिंदा अपने लिए आसमान ढूंढता है..!!!
मैं शुक्रगुजार हूं उन तमाम लोगों का जिन्होंने बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़ दिया क्योंकि उन्हें भरोसा था कि मैं मुसिबतों से अकेले हि निपट सकता हूं।
परिंदो को मंजील मिलेगी यकिनन ये फैले हुए उनके पर बोलते है, वो लोग रहते है खामोश अक्सर जमाने में जिनके हुनर बोलते है।
वह व्यक्ति कुछ नहीं पा सकता जिसने उम्मीद खो दी है….
अक्सर लोग आलसी नहीं होते बल्कि उनके लक्ष्य कमजोर होते हैं…
सफ़र में मुश्किलें आये तो जुर्रत और बढ़ती है, कोई जब रास्ता रोके तो हिम्मत और बढ़ती है।
अगर एक हारा हुआ इंसान हारने के बाद भी मुस्कूरा दें तो जितने वाला भी जीत की खुशी खो देता है।
जीवन में शांति चाहते हैं तो दुसरों की शिकायतें करने से बेहतर है ख़ुद को बदल लें,क्योंकि पुरी दुनिया में कारपेट बिछाने से ख़ुद के पैरों में चप्पल पहन लेना अधिक सरल है।
मंजिलें बड़ी ज़िद्दी होती हैं हासिल कहाँ नसीब से होती हैं मगर वहाँ तूफान भी हार जाते हैं जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैं।