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नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
ज़िन्दगी भर नहीं दूंगा।
छुपा रहा हूं इश्क अभी सबसे पर एक दिन सरेआम तुम्हें लेने आऊंगा
यहाँ तो लोग नफरत भी करते है प्यार की तरह।
महानता कभी ना गिरने में नहीं है, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है.
तुम बस काबिल हो बस मेरी नफरत के।
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करू,
ज़िन्दगी में कुछ ज़ख्म ऐसे होते है जो कभी नहीं भरते बस इंसान उन्हें छुपाने का हुनर सीख जाता है
कभी-कभी हमें, उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं।– प्रेमचंद
निपुणता हमेशा आपके आसपास के लोगों के प्रति आपके प्रेम और परवाह का नतीजा होनी चाहिए - न कि एक मशीनी और उदासीन कार्य-भावना का।